Wednesday 24 July 2013

शिक्षकों की अनुबंध आधार पर नियुक्ति में सीटेट में छूट की मांग

पिछले साल नवंबर में हुई सीटेट की परीक्षा का रिजल्ट था लगभग 1 प्रतिशत
अधिकतर स्कूलों में अभी भी शिक्षकों की कमी बनी हुई है 
मौजूदा समय में शिक्षा का स्तर जिस तेजी से गिर रहा है
नई सीटेट की परीक्षा 28 जुलाई, 2013 को होगी और उसका रिजल्ट सितंबर में आएगा
स्कूलों में शिक्षक न होने के कारण बच्चों को हो रही परेशानी है का अंदाजा लगा पाना मुश्किल ही नहीं न मुमकिन

नई दिल्ली। नई पीढ़ी-नई सोच संस्था के संस्थापक व अध्यक्ष साबिर हुसैन उपराज्यपाल, शीला दीक्षित (मुख्यमंत्री), डाॅ. किरण वालिया (शिक्षामंत्री) व शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर मांग की है कि शिक्षकों की अनुबंध आधार पर नियुक्ति में सीटेट में छूट की मांग है। केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) को अनिवार्य किया गया है, पिछले साल नवंबर में हुई सीटेट की परीक्षा जिसमें सभी विषय के शिक्षक न के बराबर पास थे और इसका रिजल्ट भी लगभग 1 प्रतिशत था। शिक्षक न के बराबर पास हैं। ऐसे में स्कूलों की पढ़ाई पूरे साल कैसे होगी यह चिंता का विषय बन गया है। 
उन्होंने बताया कि दिल्ली के स्कूलों में अभी हाल ही में सरकार, शिक्षा विभाग व सर्व शिक्षा अभियान (एस. एस. ए.) की ओर से अनुबंध आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई है जिसमें सभी के लिए केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) को अनिवार्य किया गया है। पिछले साल नवंबर में हुई सीटेट की परीक्षा जिसमें सभी विषय के शिक्षक न के बराबर पास थे और इसका रिजल्ट भी लगभग 1 प्रतिशत था। सरकार, शिक्षा विभाग व सर्व शिक्षा अभियान आदि को यह मालूम भी है कि दिल्ली में कितने प्रतिशत शिक्षक सीटेट की परीक्षा में पास हुए हैं फिर सीटेट का नियम लगाकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है। ऐसे में स्कूलों में पढ़ाई पूरे साल कैसे होगी यह चिंता का विषय बन गया है। जो लोग नवंबर की सीटेट की परीक्षा में पास हुए थे वह तो स्कूलों में नियुक्त हो गए हैं परंतु वह भी स्कूलों के लिए पूरे नहीं हैं क्योंकि अधिकतर स्कूलों में अभी भी शिक्षकों की कमी बनी हुई है।
उन्होंने आगे पत्र में लिखा है कि जुलाई का महीना समाप्त होने को आ गया है परंतु इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है या जानबूझकर इस ओर कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है। नई सीटेट की परीक्षा 28 जुलाई, 2013 को होगी और उसका रिजल्ट सितंबर में आएगा। यदि नई सीटेट की परीक्षा के भरोसे बैठे रहे तो काफी समय निकल जाएगा।
उन्होंने बताया कि अगर सरकार व शिक्षा विभाग सीटेट परीक्षा पहले से कार्यरत स्थायी शिक्षकों पर भी लागू कर दें तो आधे से अधिक शिक्षक इस परीक्षा में फेल हो जाएंगे और पढ़ाने योग्य शिक्षक स्कूलों में बचेंगे ही नहीं। जो स्कूलों में पढ़ाने योग्य होंगे वह संख्या में बहुत ही कम होंगे जिससे सरकारी स्कूलों की पूर्ति ही नहीं हो सकेगी, इसलिए सरकार को एक बार पुनः विचार करना चाहिए।
उन्होंने पत्र में बताया है कि आज के समय में शिक्षा का स्तर जिस तेजी से गिर रहा है उसका कारण अधिकतर स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं व पर्याप्त मात्रा में किताबें भी मौजूद नहीं हैं। शिक्षक स्कूल में न होने के कारण बच्चों को कितनी परेशानी हो रही है इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल ही नहीं न मुमकिन है, क्योंकि आप लोगों की बेरूखी से तो यही लगता है कि आप लोग चाहते ही नहीं की दिल्ली के स्कूलों में अच्छी पढ़ाई हो। आप लोग सिर्फ बड़ी-बड़ी बात करके जनता में यह दिखाना चाहते हैं कि हम शिक्षा के प्रति कितने फिक्रमंद हैं।
उन्होंने पत्र में बताया है कि अनुबंध आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया के रिजल्ट को देखा जाए तो ज्यादातर स्कूलों में शिक्षकों ने सीटेट की अनिवार्यता के कारण आनलाइन फार्म ही नहीं भरे। जिस कारण आज स्कूलों में शिक्षक नदारद हैं।
उन्होंने पत्र में बताया है कि सभी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा सीटेट की अनिवार्यता की पाबंदी हटा दी जाए और दुबारा सर्कुलर जारी करके शिक्षकों की भर्ती करें या फिर से भर्ती के लिए विज्ञापन दें। जिससे ज्यादा से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति हो सके वरना पूरा सत्र बिना शिक्षकों के गुजरेगा।
उन्होंने पत्र के आखिर में कहा कि सरकार जल्द से जल्द बिना सीटेट के शिक्षकों की नियुक्ति की जाए अर्थात् स्टाॅफ की कमी को पूरा करें ताकि बच्चों की पढ़ाई सुचारु रूप से चल सके क्योंकि अधिकतर स्कूलों में अभी तक पर्याप्त मात्रा में शिक्षक मौजूद नहीं हैं। जिस कारण यह स्कूल बुलंदी की ओर नहीं जा सकेंगे बल्कि यह स्कूल जमीनदोज हो जाएंगे।

Monday 15 July 2013

नई पीढ़ी-नई सोच संस्था ने सरकार पर लगाया उपेक्षा का आरोप

नई दिल्ली। आज नई पीढ़ी-नई सोच संस्था के केंद्रीय कार्यालय में बैठक आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता संस्था के संस्थापक व अध्यक्ष श्री साबिर हुसैन ने की। इस बैठक में कुछ मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। वह मुद्दे थे कालोनी में सफाई व्यवस्था का चौपट होना, कूड़े घर पर भूमाफियाओं की नजर, स्कूलों में बच्चों के प्रवेश न होना, दिल्ली सरकार का शिक्षा के प्रति लापरवाही आदि।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए साबिर हुसैन ने कहा कि हम सफाई, स्कूलों में बच्चों के प्रवेश आदि के लिए पत्र लिखकर अवगत कराएंगे। यदि इसके बाद भी कोई कार्य नहीं होता है तो इसके लिए संघर्ष करेंगे और सरकार या संबंधित विभाग के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे।
उन्होंने कहा कि गत दिनों पहले भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल ने सरकारी स्कूलों को लेकर जो खुलासा किया है उससे दिल्ली सरकार में हाहाकार मचा हुआ है जबकि उनके कुछ आंकड़ों से दिल्ली सरकार मुंह नहीं मोड़ सकती।
अध्यक्ष साबिर हुसैन ने कहा कि दिल्ली सरकार को उनके द्वारा पेश किए गए आंकड़ों में कमी तो नजर आई परन्तु हकीकत से वह मुंह मोड़ रही हैं।
श्री गोयल के सभी आरोप सही नहीं हैं परन्तु कुछ आरोप गलत भी नहीं है। दिल्ली सरकार के कई स्कूल नर्सरी से शुरू होते हैं और 10वीं या 12वीं तक हैं वहां के बच्चों को भी पढ़ना लिखना नहीं आता। जब इसके बारे में प्रधानाचार्यों से पूछा गया तो उनका कहना है कि हमारे पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है। हम तो सिर्प इन्हें घेर रहे हैं।
बहुत सारे स्कूल ऐसे हैं जिनमें मिड डे मिल बांटने के बाद बच्चे कम होना शुरू हो जाते हैं इनमें अधिकतर स्कूल लड़कों के हैं। यह स्कूल सीलमपुर, जाफराबाद,  मौजपुर, गोकुलपुरी, शास्त्राr पार्प, गौतमपुरी आदि अधिकतर स्कूल जमानापार या गांव के हैं।
एक-एक स्कूल में छात्र-शिक्षक अनुपात 1ः70 लगभग है। उस पर भी अलग काम जैसे आरटीआई का जवाब, जनगणना, पीओ आफिस जाना आदि कार्य हैं। वह कब पढ़ाएंगे जब उन्हें समय मिलेगा परन्तु समय तो मिलेगा ही नहीं।
पिछले काफी समय से स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है सिर्प स्थायी शिक्षकों को एक स्कूल से दूसरे स्कूलों में भेजा जा रहा है।
अस्थायी शिक्षकों की भर्ती जुलाई में शुरू होती है और अंतिम जुलाई तक चलती है इससे पूरा जुलाई माह पढ़ाई नहीं हो पाती।
बच्चों को पास करना मजबूरी हो गया क्योंकि उन्हें कई तरह के नम्बर दिए जाते हैं जैसे हाजिरी, वर्दी अच्छी है या नहीं, नहा कर आया है या नहीं आदि उसमें बच्चों को पूरे नम्बर मिल जाते हैं या फिर थोड़े से कम जैसे 40 में से 36, 32, 38 आदि अंक मिल जाते हैं। उसका उन्हें फायदा मिल जाता है और वह पास होते हैं। शिक्षक पूरे साल इसी कार्य में लगे रहते हैं। कभी यह टेस्ट तो कभी यह एक्टिविटी आदि।
जब से 10वीं की परीक्षा स्कूलों में होने लगी है तब से बच्चे ज्यादा पास होने लगे हैं क्योंकि वहां उन्हें नकल करने का पूरा मौका मिलता है। इसमें उनका नुकसान ज्यादा होता है जो रोजाना स्कूल जाते हैं और होशियार हैं।
इसमें ग्रेड प्रणाली भी बिना पढ़ने-लिखने वाले बच्चों को फायदा पहुंचा रही है क्योंकि 10 अंक वाला भी एक ग्रेड में और 1 अंक वाला भी एक ग्रेड में तो फर्प कहां रहा। नुकसान पूरी तरह पूरे साल पढ़ने वाला का हुआ।

vir arjun 15-7-2013


Wednesday 3 July 2013

धर्मपुरा वार्ड में दुरुस्त होगी सफाई व्यवस्था : तुलसी

धर्मपुरा वार्ड 233 कीनिगम पार्षद तुलसी

नई दिल्ली। धर्मपुरा की निगम पार्षद तुलसी ने कहा कि बुलन्द मस्जिद के डी 444 के पास पुराने कूड़ाघर की मरम्मत कर ए ब्लाक में नया कूड़ाघर बनवाया जाएगा।
यह आश्वासन उन्होंने नई पीढ़ी नई सोच संस्था के अध्यक्ष साबिर हुसैन के नेतृत्व में मिलने गए प्रतिनिधिमंडल को दिया।
उन्होंने इस बात को बेबुनियाद कहा कि कूड़ाघर पर भूमाफिया कब्जा कर रहे हैं व कहा कि यहां वही होगा जो क्षेत्र की जनता चाहेगी।

श्रीमती तुलसी ने कहा कि उनका प्रयास है कि वार्ड में ज्यादा से ज्यादा सफाई हो लेकिन इसमें जन सहयोग भी बहुत जरूरी है।

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