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Saturday, 14 July 2012
Friday, 13 July 2012
उर्दू शिक्षकों की अनुबंध आधार पर नियुक्ति में सीटेट (CTET) में छूट की मांग
नई दिल्ली। नई पीढ़ी-नई सोच संस्था के संस्थापक व अध्यक्ष साबिर हुसैन ने उप-राज्यपाल महोदय, श्रीमती शीला दीक्षित (मुख्यमंत्री), श्री अरविंद सिंह लवली (शिक्षा मंत्री), शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर मांग की है कि उर्दू शिक्षकों की अनुबंध आधार पर नियुक्ति में सीटेट(CTET) में छूट की मांग है। केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट (CTET)) को अनिवार्य किया गया है, जिसमें उर्दू शिक्षक व अन्य शिक्षक न के बराबर पास हैं। ऐसे में उर्दू की पढ़ाई पूरे साल कैसे होगी यह चिंता का विषय बन गया है।
उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में सरकार व शिक्षा विभाग की ओर से अनुबंध आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई है जिसमें सभी के लिए केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट (CTET)) को अनिवार्य किया गयाहै, जिसमें उर्दू शिक्षक व अन्य शिक्षक न के बराबर पास हैं। ऐसे में उर्दू की पढ़ाई पूरे साल कैसे होगी यह चिंता का विषय बन गया है। उर्दू को हिन्दी के बाद दूसरा स्थान दिया गया है परंतु इसकी ओर कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है। इसी कारण इसके साथ लगातार भेदभाव होता रहा है। आज भी कई ऐसे स्कूल हैं जहां 100 या 100 से अधिक उर्दू पढ़ने वाले मुस्लिम छात्र हैं परंतु वहां अभी तक उर्दू शुरू नहीं की गई है और अब सीटेट(CTET) का बहाना बनाकर सरकार उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति नहीं करना चाहती। सरकार व शिक्षा विभाग को पता है कि सीटेट(CTET) का रिजल्ट क्या है और इसमें उर्दू पढ़ाने वाले शिक्षक कितने पास हुए हैं।
उन्होंने आगे पत्र में लिखा है कि अगर सरकार व शिक्षा विभाग सीटेट(CTET) परीक्षा पहले से कार्यरत स्थायी शिक्षकों पर भी लागू कर दें तो आधे से अधिक शिक्षक इस परीक्षा में फेल हो जाएंगे और पढ़ाने योग्य शिक्षक स्कूलों में बचेंगे ही नहीं। जो स्कूलों में पढ़ाने योग्य होंगे वह संख्या में बहुत ही कम होंगे जिससे सरकारी स्कूलों की पूर्ति ही नहीं हो सकेगी। इसलिए सरकार को एक बार पुनः विचार करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि सभी स्कूलों में संस्कृत पढ़ने वाले संस्कृत के स्थायी शिक्षक मौजूद हैं चाहे वहां 20-30 बच्चें ही संस्कृत पढ़ने वाले क्योंने हों परंतु आज भी कई ऐसे स्कूल हैं जहां 100 या 100 से अधिक उर्दू पढ़ने वाले मुस्लिम छात्र हैं परंतु वहां अभी तक उर्दू शुरू नहीं की गई है स्थायी उर्दू शिक्षको की बात दूर की सोच है। ज्यादातर स्कूलों में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति के लिए सरकार व शिक्षा विभाग सिर्फ इस पर खानापूर्ति करता नजर आता हैं मगर इस पर कोई ठोस कार्यवाही करने कोतैयार नहीं है।
उन्होंने पत्र में बताया है कि आज के समय में उर्दू का स्तर जिस तेजी से गिर रहा है उस का कारण अधिकतर स्कूलों में उर्दू शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं व पर्याप्त मात्रा में उर्दू की किताबें भी मौजूद नहीं हैं। उर्दू शिक्षक स्कूल में न होने के कारण बच्चों को कितनी परेशानी हो रही है इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल ही नहीं न मुमकिन है, क्योंकि आप लोगों की उर्दू के प्रति बेरूखी से तो यही लगता है कि आप लोग उर्दू को तरजीह हीनहीं देना चाहते और बड़ी-बड़ी बात करके जनता में यह दिखाना चाहते हैं कि हम उर्दू के प्रति कितने फिक्रमंद हैं।
उन्होंने पत्र में बताया है कि अनुबंध आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया के रिजल्ट को देखा जाए तो ज्यादातर स्कूलों में उर्दू शिक्षकों ने सीटेट(CTET) की अनिवार्यता के कारण आनलाइन फार्म ही नहीं भरे। जिस कारण आज स्कूलों में उर्दू शिक्षक नदारद हैं।
उन्होंने पत्र के आखिर में कहा कि सभी स्कूलों में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति के लिए केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा सीटेट(CTET) की अनिवार्यता की पाबंदी हटा दी जाए और दुबारा सर्कुलर जारी करके उर्दू शिक्षकों की भर्तीके लिए विज्ञापन दें। जिससे ज्यादा से ज्यादा उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति हो सके वरना पूरा सत्र बिना उर्दू का गुजरेगा।
Saturday, 7 July 2012
साबिर हुसैन (राष्ट्रीय अध्यक्ष)
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