Friday 24 February 2012

धर्मपुरा वार्ड (233)सीट को सामान्य करने की मांग की

नई दिल्ली। धर्मपुरा वार्ड (233½ में मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं की संख्या अधिक है परंतु महिला आरक्षण पर भी महिला अनुसूचित जाति (SC) की सीट कर देना मुस्लिम समुदाय के मतदाता के लिए परेषानी का सबब हैं क्योंकि मुस्लिम समुदाय में अनुसूचित जाति (SC) नहीं होती है। ऐसे में  यदि मुस्लिम समुदाय से कोई चुनाव लड़ना चाहे तो वह चुनाव नहीं लड़ सकता क्योंकि उससे अनुसूचित जाति (SC) का होना जरूरी है जबकि मुस्लिम समुदाय में सिर्फ ओबीसी या सामान्य जाति ही होती है।
     नई पीढ़ी-नई सोच(पंजी) संस्था के अध्यक्ष श्री साबिर हुसैन ने श्रीमती षीला दीक्षित (मुख्यमंत्री, दिल्ली सरकार), श्रीमान राज्य चुनाव आयुक्त (राज्य चुनाव आयोग, निगम भवन), श्रीमान उप राज्यपाल, मुख्य चुनाव आयुक्त(मुख्य चुनाव कार्यालय), श्री मुख्य चुनाव आयुक्त (भारतीय निर्वाचन आयोग), श्री विजय कुमार मल्होत्रा(विपक्ष के नेता, दिल्ली विधानसभा) को पत्र लिखकर उनसे मांग की है कि धर्मपुरा वार्ड (233½ सीट को सामान्य कर दिया जाए।
गांधी नगर विधानसभा (61½ में आने वाला धर्मपुरा वार्ड (233½ पूर्वी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में आता है जिसमें लगभग 50&60 हजार मतदाता हैं। इस वार्ड में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है जिनका प्रतिषत लगभग 60&65% हैं वहीं लगभग 13% अनुसूचित जाति (SC) के मतदाता हैं।
पहले यह सीट महिला आरक्षित थी जिस पर कांग्रेस की उम्मीदवार श्रीमती दीपा जैन ने जीत दर्ज की थी। यहां पर महिला मतदाताओं की संख्या भी कम है फिर भी यह सीट महिला आरक्षित थी। यहां के मतदाताओं को इतनी परेषानी नहीं थी क्योंकि किसी भी समुदाय से महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ सकती थी। वहीं निगम का तीन जोनों में बंटना महिलाओं 50 izfr'kr आरक्षण से सभी वार्ड की स्थिति लगभग उल्टी-पुल्टी है। 1]3]5 का आंकड़ा भी लोगों के गले नहीं उतर रहा है।
उन्होंने बताया कि धर्मपुरा वार्ड (233) में मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं की संख्या अधिक है परंतु महिला आरक्षण पर भी महिला अनुसूचित जाति (SC) की सीट कर देना मुस्लिम समुदाय के मतदाता के लिए परेषानी का सबब हैं क्योंकि मुस्लिम समुदाय में अनुसूचित जाति (SC) नहीं होती है। अब यदि मुस्लिम समुदाय से कोई चुनाव लड़ना चाहे तो वह चुनाव नहीं लड़ सकता क्योंकि उससे अनुसूचित जाति (SC) का होना जरूरी है जबकि मुस्लिम समुदाय में सिर्फ ओबीसी या सामान्य जाति ही होती है।
उन्होंने बताया कि इसी वजह से यहां होने वाले मतदान पर भी कभी असर पड़ेगा क्योंकि मुस्लिम समुदाय से तो कोई उम्मीदवार चुनावी मैदान में होगा नहीं तो मुस्लिम समुदाय के मतदाता मतदान के दिन मतदान करने नहीं जाएंगे। जिस कारण यहां जो मतदान लगभग 60-65% होता था वह गिरकर 30&35% के आस-पास जाएगा। इस महिला अनुसूचित जाति (SC) की आरक्षित सीट के कारण मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं में काफी रोष व्याप्त है और वह इसी कारण मतदान के दिन मतदान करने भी नहीं जाना चाहते।

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