Thursday 21 June 2012

बुलंद मस्जिद स्कूल दो शिफ्ट में करने की मांग


- मौजूदा समय में एक पाली (शिफ्ट) में नर्सरी से 10वीं तक 17 कमरों में चल रहा है स्कूल
- छात्रों की संख्या लगभग 2800-2900 के बीच हो चुकी है जुलाई में संख्या 3 हजार के पार पहुंच जाएगी
- एक-एक कमरे में 200-250 छात्र बैठने को मजबूर
- मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने के बावजूद उर्दू मीडियम का दर्जा नहीं
- 98 प्रतिशत छात्र मुस्लिम होने के बावजूद लम्बे समय से उर्दू शिक्षकों की कमी
- पहली से 5वीं कक्षा तक के बच्चों को उर्दू पढ़ाना वाला कोई भी शिक्षक मौजूद नहीं


नई दिल्ली। नई पीढ़ी-नई सोच संस्था के अध्यक्ष श्री साबिर हुसैन ने शिक्षा मंत्री श्री अरविंद सिंह लवली व शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर बुलंद मस्जिद, शास्त्री पार्क स्कूल को दो शिफ्ट में करने की मांग की है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि मौजूदा समय में स्कूल एक पाली (शिफ्ट) में चल रहा है व छात्रों की संख्या लगभग 2800-2900 के बीच हो चुकी है जोकि जुलाई में संख्या 3 हजार के पार पहुंच जाएगी। यह स्कूल नर्सरी से 10वीं तक 17 कमरों में चल रहा है और एक-एक कमरे में 200-250 छात्र बैठ रहे हैं। मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने के बावजूद स्कूल को उर्दू मीडियम का दर्जा नहीं मिला है जबकि 98 प्रतिशत छात्र मुस्लिम है और लम्बे समय से उर्दू शिक्षकों की कमी है।
राजकीय सर्वाेदय सह-शिक्षा उच्च माध्यमिक विद्यालय, बुलंद मस्जिद, शास्त्री पार्क स्कूल जो कि मौजूदा समय में एक पाली (शिफ्ट) में चलता है। यहां पर छात्रों की संख्या लगभग 2800-2900 के बीच हो चुकी है और जुलाई में भी दाखिले होंगे जिससे यहां छात्रों की संख्या 3000 के पार पहुंच जाएगी।
पत्र में उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में स्कूल नर्सरी से 10वीं तक 17 कमरों में चल रहा है, जो कि काफी नहीं है, क्योंकि 17 कमरों में छात्रों को बैठने में काफी परेशनी होती है। एक-एक कमरे में 200-250 छात्रों को बैठना पड़ता है जिससे छात्रों को पढ़ने-लिखने में भी बाधा उत्पन्न होती है। यह क्षेत्र मुस्लिम बहुल होने व लगभग 98 पतिशत छात्र मुस्लिम होने के बावजूद यहां पर उर्दू शिक्षकों की कमी है, यहां स्थायी पद काफी समय से खाली पड़े हैं व उर्दू की किताबें भी मौजूद नहीं हैं। इसी के साथ उर्दू का सिलेबस भी स्कूल में मौजूद नहीं है। पूरे स्कूल में सिर्फ 3 उर्दू शिक्षक (अस्थाथी) मौजूद थे, जिनका अनुबंध भी 10 मई को खत्म हो गया है। जबकि 30-35 बच्चें ही संस्कृत पढ़ने वाले हैं उनके लिए संस्कृत की स्थायी शिक्षक मौजूद है पर उर्दू के लिए नहीं। 
साबिर हुसैन ने बताया कि यह स्कूल पहले वर्ष (स्कूल शुरू होने पर) में पहली से 5वीं तक उर्दू मीडियम तक कहा जा रहा था और पहली से पांचवीं तक सभी विषय की उर्दू किताबें मौजूद थी परंतु दूसरे साल में न तो किताबें आईं और न ही उन छात्रों को उर्दू पढ़ाई गई और अब तो पहली से 5वीं तक के छात्रों को उर्दू भी नहीं पढ़ाई जा रही है। पहली कक्षा से 5वीं कक्षा तक के बच्चों को उर्दू पढ़ाना वाला अभी तक कोई भी शिक्षक मौजूद नहीं है। जिस कारण यहां के बच्चों को अभी तक उर्दू की वर्णमाला (उर्दू की तख्ती) के बारे में भी मालूम नहीं है।
शिक्षा मंत्री व शिक्षा निदेषक को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि स्कूल की बाउंड्री काफी नीची है जिससे आवारा/ असामाजिक तत्व स्कूल में घुसकर छात्राओं के साथ बदतमीजी करते हैं और छात्रों से लड़ाई-झगड़ा करते हैं। यदि इन्हें पकड़ भी लिया जाता है तो यह लड़के दुबारा दूसरे को साथ लाकर असामाजिक वस्तु से सिक्योरिटी गार्ड, अध्यापकों, छात्रों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसे कम से कम पांच फीट ऊंचा किया जाए व बाउंड्री के उपर कंटीले तार लगाएं जाएं ताकि आवारा/ असामाजिक किस्म के लड़के स्कूल में ने घुस सकें। 
उन्होंने आगे बताया कि स्कूल में दो गेट हैं एक मेन गेट व दूसरा दूसरी तरफ। दोनों गेटों की दूरी लगभग 200 मीटर है और स्कूल समय पर एक ही सिक्योरिटी गार्ड तैनात होता है वह भी मेन गेट पर। यदि स्कूल में दूसरी तरफ से कोई घूस जाए तो उस गार्ड को कमरों तक आने में 5-10 मिनट लग जाते हैं इतनी देर में कोई भी कुछ भी करके भाग सकता है। अगर एक से ज्यादा गार्ड होंगे तो यह समस्या काफी कम हो सकती है। 
उन्होंने कहा कि विद्यालय को दो पाली (शिफ्ट) में कर दें जिससे छात्रों को अपनी पढ़ाई करने में आ रही परेशानी कम हो सके और छात्रों का भविश्य उज्ज्वल हो, मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने के कारण इस विद्यालय को उर्दू मीडियम स्कूल का दर्जा दिया जाए, उर्दू शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति की जाए। उर्दू की किताबें ज्यादा से ज्यादा भेजें, उर्दू का सिलेबस स्कूलों को भेजें व उर्दू का सिलेबस शिक्षा निदेशालय की वेबसाइड पर भी डालें, स्कूल की बाउंड्री को लगभग 5 फीट ऊंचा करें व इस पर कंटीले तार लगाएं ताकि असामाजिक तत्व स्कूल में न घूस सकें, सिक्योरिटी गार्डों की संख्या बढ़ाकर कम से कम 2 कर दिएं जाएं, स्कूल षुरू व छुट्टी के समय पुलिस बल की तैनाती की जाए जिससे असामाजिक तत्व स्कूली छात्रों को किसी प्रकार की हानि न पहंुचा सके।

Vir Arjun 21-06-2012


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