Tuesday 29 March 2016

नई पीढ़ी-नई सोच संस्था ने आर्ड-ईवन फार्मूले को सफल बनाने के लिए दिए सुझाव

- आर्ड-ईवन फार्मूले को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री व परिवहन मंत्री को पत्र लिखकर दिए कुछ सुझाव।
- पहले आर्ड-ईवन फार्मूले की सफलता के लिए सरकार का तेह-दिल से धन्यवाद दिया।
- संस्था ने सरकार से साझा किए विचार ताकि प्रदूषण पर कामयाबी मिल पा सके।
- जिन्हें फार्मूले में छूट मिले उन्हें पेट्रोल या सीएनजी गैस प्रदूषण जांच के प्रमाण पत्र के बाद मिले
- लगभग 20 से 30 प्रतिशत गाडि़यां इतना प्रदूषण छोड़ती हैं कि यह पूरे फार्मूले को ही विफल कर देती हैं।
- इससे सरकार को भी राजस्व होगा और प्रदूषण में भी कमी आएगी।

नई दिल्ली। नई पीढ़ी-नई सोच संस्था जनता की भलाई के लिए रोजाना नए-नए कार्य जैसे पोलियो कैंप, नेत्र चिकित्सा कैंप, मतदाता पहचान पत्र कैंप आदि का आयोजन करके जनता व सरकार की मदद करती है। इसी कड़ी में संस्था ने एक और कार्य किया है। संस्था के संस्थापक व अध्यक्ष श्री साबिर हुसैन ने दिल्ली सरकार के आर्ड-ईवन फार्मूले को सफल बनाने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व परिवहन मंत्री गोपाल राय जी को पत्र लिखकर कुछ सुझाव दिए हैं।
पत्र के शुरू में संस्था के अध्यक्ष श्री साबिर हुसैन ने दिल्ली सरकार के आर्ड-ईवन फार्मूले की सफलता के लिए संस्था की ओर से दिल्ली सरकार का तेह-दिल से धन्यवाद दिया है और आशा की है कि 15 अप्रैल से लागू हो रहे आर्ड-ईवन फार्मूले को भी सफलता मिले।
1 जनवरी से 15 जनवरी तक चले पहले और आर्ड-ईवन फार्मूले में संस्था के सदस्यों ने कई चीजों का बारीकी से अध्ययन किया था जिससे प्रदूषण में कमी आए परंतु प्रदूषण में कमी ना आने के कारण का जब पता चला तो हमारी संस्था ने इस बात को सरकार से साझा करने की सोची। यदि सरकार को लगे कि यह भी प्रदूषण का कारण है तो इस पर विचार करें ताकि जिसके लिए आर्ड-ईवन फॉर्मूला लागू किया जा रहा है वह पूर्ण रूप से इस पर कामयाब हो सकें अर्थात् प्रदूषण में कमी आए।
उन्होंने आगे लिखा कि हमारी संस्था के कई सारे पदाधिकारियों व सदस्यों ने इस आर्ड-ईवन फामूले में देखा कि जो गाडि़यां सड़क पर थी अर्थात जिन्हें इस आर्ड-ईवन फार्मूले में छूट मिली थी वह गाडि़या काफी प्रदूषण छोड़ रही थी, जिनमें डीटीसी की बसें भी थीं। जिस कारण प्रदूषण में अधिकतम कमी नहीं आ रही थी इसलिए संस्था चाहती है कि इस आर्ड-ईवन फार्मूलेे में जो भी गाड़ी रोड पर चले अर्थात जिन्हें इस फार्मूले में छूट मिले उन्हें पेट्रोल या सीएनजी गैस तभी दी जाए जब उनके पास प्रदूषण जांच का प्रमाण पत्र हो क्योंकि लगभग 20 से 30 प्रतिशत गाडि़यां इतना प्रदूषण छोड़ती हैं कि यह पूरे फार्मूले को ही विफल कर देती हैं।
पत्र में उन्होंने आगे लिखा है कि यदि इस आर्ड-ईवन फार्मूले में यह फार्मूला भी लागू कर दिया जाए कि पेट्रोल या गैस तभी मिलेगी जब उस व्यक्ति के पास वैध प्रदूषण जांच का प्रमाण पत्र होगा तो उससे अवश्य प्रदूषण में कमी आएगी और जो लोग प्रदूषण की जांच नहीं करवाते हैं वह लोग भी प्रदूषण की जांच अवश्य करवाएंगे। इससे सरकार को भी राजस्व होगा और प्रदूषण में भी कमी आएगी। इसी के साथ यह फार्मूला भी बनाया जाए कि कितना प्रतिशत प्रदूषण का स्तर हो। प्रदूषण के एक पैमाने के बाद यदि प्रदूषण स्तर अधिक पाया जाता है तो उसे गैस व पेट्रोल नहीं दिया जाए।
पत्र के अंत में उन्होंने लिखा कि इस फार्मूले के लागू होने से बहुत सारी गाडि़यां अपने आप रूट से हट जाएंगी और प्रदूषण पर भी स्थायी रूप से नियंत्रण पा सकेंगे।

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